त्रिफला चूर्ण के लाभ – आयुर्वेद की अद्भुत औषधि
त्रिफला चूर्ण को अक्सर सामान्य समझा जाता है, लेकिन इसकी औषधीय शक्ति असाधारण है। आयुर्वेद में किसी भी औषधि के गुणों को समझने के लिए उसके स्वाद (रस) का विशेष महत्व होता है। आयुर्वेद में छह प्रकार के स्वाद बताए गए हैं:
1. मधुर (मीठा): शीतल, पोषणकारी और शक्ति देने वाला। यह शरीर को मजबूती और मन को संतुलन प्रदान करता है।
2. अम्ल (खट्टा): पाचन में सहायक और भूख बढ़ाने वाला। वात दोष को कम करता है।
3. लवण (नमकीन): पाचन शक्ति बढ़ाता है, शरीर में जल संतुलन बनाए रखता है, वात और कफ को संतुलित करता है।
4. कटु (तीखा): पाचन में सुधार करता है और श्वसन तंत्र को साफ करता है।
5. तिक्त (कड़वा): शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालता है, रक्त को शुद्ध करता है और पित्त को कम करता है।
6. कषाय (कसैला): पाचन को नियंत्रित करता है, सूजन कम करता है और पित्त-कफ को संतुलित करता है।
इन छह स्वादों का संतुलन हमारे शरीर के तीन दोषों — वात, पित्त और कफ — को नियंत्रित करने में सहायक होता है।
त्रिफला चुर्ण के फायदे
त्रिफला चूर्ण के फायदे और नुकसान
त्रिफला चूर्ण के फायदे बताएं
आयुर्वेदिक त्रिफला चूर्ण
त्रिफला चूर्ण का फायदा आंखों के लिए
त्रिफला में ये विशेषता होती है कि इसमें नमकीन स्वाद को छोड़कर बाकी पाँचों रस मौजूद होते हैं। इसी कारण यह अकेले ही तीनों दोषों को संतुलित करने में सक्षम है। अगर त्रिफला को थोड़ा नमकीन बनाकर लिया जाए, तो यह छहों रसों से भरपूर हो जाता है और एक संपूर्ण टॉनिक के रूप में कार्य करता है।
नमकीन त्रिफला को खुद पर प्रयोग करके यह अनुभव किया गया है कि यह न केवल पेट साफ करने में सहायक है, बल्कि इसकी आदत भी नहीं लगती। हालांकि, उच्च रक्तचाप (High BP) के मरीजों को इसे नमकीन रूप में लेने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लेनी चाहिए।
त्रिफला लड्डू के रूप में इसका सेवन भी लाभदायक होता है। जब इसे आँवला, बहेड़ा और हरड़ को 3:2:1 के अनुपात में मिलाकर लड्डू बनाया जाए और दूध के साथ सुबह सेवन किया जाए, तो यह बलवर्धक बन जाता है।
हर बीमारी और शरीर की स्थिति के अनुसार त्रिफला के उपयोग के अलग-अलग तरीके हैं, जिससे इसके गुण और भी प्रभावशाली हो जाते हैं।
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